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नवंबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फिटकरी का उपयोग fitkari ka upyog in hindi on blogger on google

घरेलू औषधि के रूप में फिटकरी को विशेष महत्व प्राप्त है। त्वचा विकारों में तो यह अत्यंत महत्व पूर्ण है। फिटकरी के पानी से कुछ दिन तक कुल्ला करने से पायरिया, मुँह के छाले, दांत के कीड़े आदि रोगों से मुक्ति मिलती है। इस तरह के चरम और दन्त रोगों में फिटकरी के निम्न नुश्खे विशेष रूप से लाभदायक हैं। नुश्खे- 1-चर्म रोग- चरम रोगों में फिटकरी बड़ी ही लाभदायक है। जिस स्थान पर चर्म रोग हुआ हो। वहां उस स्थान को बार-बार फिटकरी से धोने से या फिटकरी के पानी से धोने से लाभ होता है। 2-बुखार-साधारण बुखार में थोड़ी सी सोंठ और फिटकरी पीसकर दिन में तीन बार बतासे में रखकर खिलाने से रोगी को लाभ मिलता है। 3-दांतदर्द में-दांतों के दर्द में फिटकरी और रीठे की गुठली को मिलाकर दांतों पर मलने से लाभ मिलता है। 4-पीलिया-पीलिया में फिटकरी अत्यंत लाभकारी है। 10 ग्राम फिटकरी को पीसकर 21 पुड़ियां बनायें। दिन में तीन बार 1-1 पुड़िया गाय के दूध के मक्खन के साथ सेवन करने से पीलिया दूर होता है। 5-कुष्ठ रोग में-कुष्ठ रोग के इलाज के लिए 100 ग्राम फिटकरी पीसकर भस्म बनायें। फिर दो रत्ती फिटकरी और एक चम्मच शहद को गाजर मूली के रस

आंवले का उपयोग anvle ka upyog in hindi on blogger on google

1-कब्ज-एक छोटा चम्मच पिसा हुआ आंवला रात को दूध के साथ सेवन करने से यह कब्ज को दूर करता है। 2-अम्लपित्त-एक तोला आंवलों का रस,पानी में मसली हुई एक तोला काली द्रादा और आधा तोला शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त में विशेष आराम मिलता है। 3-स्त्रियों का सोमरोग-20 ग्राम आंवले के रस में एक पका हुआ केला मसलकर उसमें 5 ग्राम शक्कर मिलाकर खाने से स्त्रियों का सोमरोग (बहुमूत्र) दूर हो जाता है। 4-पथरी-आंवलें का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी दूर होती है। 5-पेशाब में जलन-आंवला और हल्दी 10-10 ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर पीने से मूत्रमार्ग और गुदा मार्ग को जलन शांत होती है। 6-पायरिया-आंवलें को आग पर भूनकर उसमें सेंधा नमक मिलाकर बारीक पीस लें,साथ ही उसमें दो-तीन बूँद सरसों का तेल मिलाकर इससे नियमित मंजन करने से पायरिया रोग का नाश होता है। 7-हड्डी टूटने पर-हड्डी टूटने पर आवश्यक उपचार के बाद नियमित रूप से आंवलें का रस किसी फल के रस में मिलाकर लें,विशेष लाभ होता है। 8-नेत्र ज्योति-नेत्र रोगों में आंवलें का चूर्ण गाय के दूध के साथ नियमित सेवन करना चाहिए इससे नेत्र की ज्योति बढ़ती है।

आंवला का उपयोग

आंवला हमारे देश के श्रेष्ठ फलों में से एक है। यह आयुवर्धक,कल्याणकारी,श्रीफल,अमृतफल आदि नामों से जाना जाता है। इसके नियमित सेवन से आँखों की ज्योति बढ़ती है। यह ह्रदय रोगों में लाभकारी है। हरा आंवला रसायन होता है। सूखा आंवला कफ को नष्ट करता है। यह खून की गर्मी को शांत करता है तथा हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह भूख को बढ़ाने वाला,पाचन शक्ति को ठीक करने वाला तथा त्वचा रोगों को नष्ट करने वाला है। इसके निम्न उपयोग हैं- 1-कब्ज-एक छोटा चम्मच पिसा हुआ आंवला रात को दूध के साथ सेवन करने से यह कब्ज को दूर करता है। 2-अम्लपित्त-एक तोला आंवलों का रस,पानी में मसली हुई एक तोला काली द्रादा और आधा तोला शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त में विशेष आराम मिलता है। 3-स्त्रियों का सोमरोग-20 ग्राम आंवले के रस में एक पका हुआ केला मसलकर उसमें 5 ग्राम शक्कर मिलाकर खाने से स्त्रियों का सोमरोग (बहुमूत्र) दूर हो जाता है। 4-पथरी-आंवलें का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी दूर होती है। 5-पेशाब में जलन-आंवला और हल्दी 10-10 ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर पीने से मूत्रमार्ग और गुदा मार्ग को जलन शांत होती है। 6-पायरिया-आं

useful tricks for pregnent women's गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगी नुश्खे garbhvati or pregnant mahilao ke liye upyogi ghreloo nuskhe in hindi on blogger on google

गर्भावस्था सभी महिलाओं के लिए सुखद और मुश्किल अवस्था है। इसमें महिलाओं को कई बार कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं से निपटने के लिए निम्न नुश्खे उपयोगी हो सकतें हैं- नुश्खे-1-गर्भवती महिलाओं के लिए बेल का मुरब्बा बहुत उपयोगी है। भोजन के बाद इस मुरब्बे का सेवन करने से प्रसव पीड़ा अधिक नहीं होती है और शिशु हष्ट-पुष्ट होता है। 2-गर्भवती महिलाओं द्वारा प्रतिदिन दो संतरे दोपहर के समय खाने से शिशु सुंदर और स्वस्थ होता है। 3-दो चम्मच शहद नित्य पीने से गर्भवती महिलाओं को रक्त की कमी नहीं होती है तथा अंतिम तीन माह दूध के साथ शहद लेने से बच्चा स्वस्थ और सुंदर होता है। 4-गर्भवती महिला द्वारा नारियल और मिश्री चबाते रहने से शिशु की आँखें बड़ी व खूबसूरत होतीं हैं। 5-कभी-कभी गर्भवती महिला का गर्भाशय नीचे आ जाता है और गर्भपात होने का भय बना रहता है। ऐसी स्थिति में उसे काले चनों का काढ़ा बनाकर पिलायें। गर्भपात का भय दूर होगा और उसे हर प्रकार से राहत मिलेगी। 6-गर्भवती स्त्री को यदि वमन की शिकायत हो तो उसे चावल में मांड के साथ तीन छोटे चम्मच बेलगिरी मिलाकर देने से लाभ होता है। यह पेय गर्

पुष्ट स्तन कैसे प्राप्त करें ? apne suno ko pusht,ubhra huaa kaise bnaye in hindi on blogger on google

औरतों का सौंदर्य मुख्य रूप से उनके स्तनों पर निर्भर है। औरतों के सौंदर्य का मुख्य आधार है पुष्ट और उन्नत उरोज,नारी का सौंदर्य,आकर्षण और मोहकता उसके सुडौल,स्वस्थ व उभरे हुए उरोजों में ही है। लेकिन कुछ स्त्रियों में इनका अच्छा विकास संभव नहींह हो पाता है,यह एक बीमारी है। जिसे स्तन क्षय कहतें हैं। जिन लड़कियों को यह बीमारी होती है वे एक तरह की हीन भावना से ग्रसित हो जातीं हैं। नुश्खे-1-जामुन की छाल,अनार के छिलके,मौलसिरी की छाल,छोटी माई,लोध,जौ-इन सभी को जल के साथ सिल पर पीसकर तिल्ली के तेल में पकायें। तेल सिद्ध हो जाने पर छान लें तथा बोतल या शीशी में रख लें। इस तेल से स्तनों की मालिश करने तथा रूई में भिगोकर पट्टी बांधने से स्तन पुष्ट होतें हैं। 2-स्तनों के चारों ओर गोलाई में जैतून के तेल से दिन में दो बार नहाने के पहले व रात में सोने से पहले दस मिनट तक मालिश कीजिये। इससे स्तन विकसित होतें हैं। 3-सौंफ,शतावरी और विदारी कंद को समान मात्रा में पीसकर कपड़छन चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2 से 5 ग्राम मात्रा में दही के साथ सेवन करें। इस चूर्ण का सेवन गर्भावस्था में करना ही उचित होगा। इसके सेवन से

योनि में खराश होने का इलाज कैसे करतें हैं ? yoni me khash utpann hone kya ilaj hai in hindi on blogger on Google

औरतों की योनि में पायी जाने वाली अनेक व्याधियों में से योनि खराश एक सामान्य व्याधि है। इस रोग में योनि मार्ग में तीव्र खुजलाहट या खराश उत्प्नन होती है। परिणाम स्वरूप सम्बंधित औरतों को खराश की निवर्त्ति के लिए बार-बार अपनी योनि को खुजलाना पड़ता है। कारण-यह बीमारी किसी औरत को स्वतः ही हो जाती है अथवा यह संक्रमण के कारण भी होती है। इस रोग का मूल कारण योनि मार्ग तथा उसके आस-पास के क्षेत्र की अस्वच्छता है। नुश्खे-1-खुजली होने पर योनि मार्ग में नारियल के तेल में भीमसेनी कपूर मिलाकर लगाने से खुजली या योनि खराश का नाश होता है। 2-गूलर के सत्व को गरम पानी में घोलकर डूश करने से गर्भाशय की खुजली ठीक हो जाती है। 3-यदि यह व्याध श्वेत प्रदर के कारण हो तो सुबह-शाम पांच-पांच ग्राम आँवले का चूर्ण शक्कर के साथ सेवन करना चाहिए,इससे स्वेत प्रदर और योनि खराश दोनों में ही लाभ होगा। 4-योनि मार्ग में खुजली होने पर तुलसी के रस का लेप करें। http://Techgyanu.blogspot.in

मतली का इलाज कैसे करतें हैं ? mali ka ilaj kya hai in hindi on blogger on google

कभी-कभी पाचन क्रिया ठीक न होने पर खट्टी दुर्गन्ध युक्त मतली आती है। इसका इलाज निम्न है- नुश्खे-1-नारियल की जटा जलाकर इसकी भस्म बनायें और फिर एक चम्मच राख को शहद के साथ चांटे। 2-हरी दूब का रस एक चम्मच लेकर सममात्रा में चावल की धोवन या मिश्री के साथ पियें। 3-इलायची के छिलकों को जलाकर उसकी भस्म चाटने से भी लाभ होता है। 4-अदरख व प्याज का रस आधा-आधा मिलाकर पियें लाभ होगा। 5-अजवाइन और लौंग का चूर्ण 1-1 चुटकी लेकर शहद के साथ चाटें। 6-छोटी इलायची को भूनकर कपड़े से छानकर उसका चूर्ण बनायें फिर चुटकीभर चूर्ण आधा चम्मच नींबू के रस में मिलाकर खायें। 7-अदरख का रस एक चम्मच,नींबू का रस एक चम्मच और शहद एक चम्मच मिलाकर चाटें लाभ होगा। http://Techgyanu.blogspot.in

बच्चों के दांत निकलने पर होने वाली तकलीफ का इलाज क्या है ? bchcho ke dant niklne par hone wali tklif ka ilaj kaise karte hai in hindi on blogger on google

बच्चों को जब स्वाभाविक रूप से दांत निकलने लगतें हैं। तो उन्हें अत्यधिक तकलीफ होती है। कभी दस्त,कभी दर्द,कभी कब्ज और कभी अंगों में ऐठन इत्यादि विकार उत्प्नन हो जातें हैं। नुश्खे-1-छोटी पिपरी को बारीक़ पीसकर कपड़े से छानकर चूर्ण बना लीजिये। इसे चुटकीभर लेकर शहद में मिलाकर मसूड़ों पर मलने से दांत बिना कष्ट के निकलतें हैं। इसका प्रयोग दिन में तीन बार करना चाहिए। 2-अनार के रस में तुलसी का रस मिलाकर बच्चों को चटाने से उनके दांत सुगमता से निकल आतें हैं और उन्हें दस्त भी नहीं होतें हैं। 3-अनार के छिलकों को साफ़ करके बच्चों के हांथो में दीजिये। वे उन्हें चबायेगें तो दांत निकलने में आसानी होगी। 4-कच्चे आँवले या कच्ची हल्दी का रस दांतों पर मलने से दांत आसानी से निकलतें हैं। 5-शहद में सुहागा पीसकर निकलते दांतों पर मलने से दांत आसानी से निकलतें हैं। 6-अगर बच्चे के दांत निकल रहें हों तो भुना हुआ सुहागा और मुलहठी 2-2 ग्राम बारीक़ पीसकर बच्चों के मसूढ़ों पर एक हफ्ते तक मलने से दांत आसानी से निकल आतें हैं। 7-सुहागे की खील 125 मि0ग्रा0 की मात्रा में माँ के दूध में मिलाकर बच्चे को दिन में दो बार अर्थात

खांसी आने पर इलाज क्या है ? khansi aane ka ilaj kaise karte hai in hindu on blogger on google

जाड़े का मौसम अथवा बदलते मौसम में अक्सर हमें खाँसी की शिकायत हो जाती है। सर्दी-जुकाम,ठंडा वातावरण भी खांसी के प्रमुख कारणों में से एक है। खासकर बच्चे और बूढ़े लोग ज्यादा इस रोग के शिकार होतें हैं। नुश्खे-1-एक चम्मच तुलसी का रस,एक चम्मच अदरख का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से कफ और खांसी से राहत मिलती है। 2-अंजीर खाने से छाती में जमा बलगम निकल जाता है और खांसी से छुटकारा मिलता है। 3-बड़ी इलायची का चूर्ण 2-2 ग्राम दिन में तीन बार पानी के साथ लेने से सभी प्रकार की खांसी में लाभ मिलता है। 4-अदरख का रस शहद के साथ सोते समय चांटे और पानी न पियें। इससे खांसी में बहुत लाभ होता है। 5-काली मिर्च और मिश्री या मुलहठी को मुँह में रखकर चूसें,इससे सूखी खांसी में आराम मिलता है। 6-काली खांसी होने पर कपूर की धूनी सूंघने से लाभ मिलता है। 7-एक चम्मच सोंठ का भुना हुआ चूर्ण,थोडा सा गुड़ और एक चुटकी अजवाइन इन तीनों को एक साथ मिलाकर खायें और ऊपर से गर्म दूध पीकर कंबल ओढ़ कर सो जायें,खांसी से जल्द ही छुटकारा मिल जायेगा। 8-तवे पर फिटकरी भून लें और उसका चूर्ण बनाकर मिश्री या शहद के साथ

मोच आने या चोट लगने पर लाभप्रद नुश्खे

चोट लग्न या मोच आना एक सामान्य बात है किन्तु इसकी कभी भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए नहीं तो इसके गम्भीर परिणाम हो सकतें हैं। राह चलते,घर का काम-काज करते हुए फिसल जाने पर या गिर जाने पर मोच,चोट या घाव हो जाता है। नुश्खे-1-त्वचा या घाव से बहते हुए खून पर पिसी हुयी फिटकरी छिड़क दीजिये,इससे खून का बहना तुरंत बन्द हो जायेगा। 2-मोच के स्थान पर सरसों का तेल लगाकर उस पर हल्दी पाउडर छिड़कें तथा मोटे तौलिये से ढक दें। एक कपड़े में नमक की पोटली बाँध लें,इसे तवे के ऊपर गरम करके तौलिये के ऊपर सेंक दें। 3-चोट के कारण घाव होने पर 20-25 नीम की ताजी पत्तियों को तोड़कर पानी के साथ पीस लें और साफ़ कपड़े से छान लें। इस रस में चुटकीभर हल्दी डाल दें फिर इस रस में रूई के फाहे को भिगोकर तवे पर थोडा सा घी डालकर गर्म करें। जब रूई जलने लगे तो उसे हटाकर थोडा सा ठंडा कर घाव पर लगाकर पट्टी बाँध दें। रूई का फाहा इतना गर्म होना चाहिए की बर्दाश्त किया जा सके। ऐसा तीन चार दिन करने से घाव ठीक हो जायेगा। 4-नीम की हरी पत्तियों को पीसकर उसकी लुगदी बनाकर घाव पर रख कर पट्टी बाँध दें। 5-प्याज को पीसकर पुल्टिस बनाकर घाव पर बाँधने स

झारखण्ड एसएससी ने 765 पदों पर भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की है,recruitment in jharkhand ssc in 765 post

झारखण्ड कर्मचारी आयोग ने 765 पदों को भरने के लिए भारतीय नागरिको से आवेदन माँगा है। पात्र उम्मीदवार 5 दिसम्बर 2015 से पहले इस पद के लिए आवेदन कर सकतें हैं। इसकी महत्वपूर्ण तिथियाँ- ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि-5 दिसम्बर पदों का विवरण- फार्मेसिस्ट (प्रशिक्षु)-765 पात्रता के बारे में अधिक जानने के लिए झारखण्ड एसएससी की वेबसाइट पर क्लिक करें। आयु- 18 से 30 वर्ष वेतनमान- 5200-20200 प्रतिमाह आवेदन शुल्क-सामान्य के लिए- 460 रू                       एससी और एसटी के लिए- 110 रू आवेदन कैसे करें-वेबसाइट पर जाकर http://Techgyanu.blogspot.in

पेट में कीड़े का इलाज क्या है ? pet me kide hone par kaise ilaj krna chahiye in hindi on blogger on google

मनुष्य के पेट में विशेष कर आँतों में विभिन्न प्रकार के कीड़े पाये जातें हैं। पाचन संस्थान से सम्बंधित इन कीड़ों को ही आम लोग पेट के कीड़ो के नाम से सम्बोधित करतें हैं। ये कीड़े कई प्रकार के होतें हैं जो  तरह-तरह के विकार उत्प्नन करतें हैं। कारण-अम्लीय पदार्थों का अधिक सेवन तथा अजीर्ण रहने पर भी भोजन करना भी पेट के कीड़ों को उत्प्नन करने में मुख्य भूमिका अदा करतें हैं। दिन में अधिक सोना,विरूद्ध पदार्थों का सेवन आदि कृमियों की उतपत्ति का सामान्य कारण हैं। ये कारण और परिस्थितियां इन कीड़ों की उत्तपत्ति और विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा करतीं हैं। लक्षण-पेट जब कीड़े हो जातें हैं तो उनके कारण निम्न लक्षण पैदा होतें हैं-मिचली,जी मचलाना,लाल स्त्राव,अजीर्ण,अरूचि आदि। इसके अतिरिक्त पेट में दर्द,भूख की कमी,रक्ताल्पता आदि लक्षण भी पाये जातें हैं। नुश्खे-1-गन्ने के सिरके में 25 ग्राम चना रात को भिगोकर रख दें और सुबह उसे चबा-चबाकर खायें। आधे घण्टे तक और कुछ भी न खाएं न पीयें। कीड़े मरकर बाहर आ जायेगें। 2-पीपल के पंचांग का चूर्ण गुड़ में मिलायें और सौंफ के अर्क के साथ सुबह-शाम 5-5 ग्राम की मात्रा

दस्त का इलाज क्या है ? DST ka ilaj kaise karte hai in hindi on blogger on google

दस्त खानपान की गड़बड़ी से होने वाला पेट का रोग है। इस रोग में जो भी खाया जाता है,पचता नहीं है और बार-बार पतले दस्त आतें हैं। दस्त में कभी-कभी असह्य बदबू भी आती है। कारण-मिलावटी खाद्य,दूषित वायु,दूषित जल प्रमुख कारण है। इसके अतिरिक्त अत्यंत गर्म,चटपटे,अत्याधिक गरिष्ठ,भारी और रूखे पदार्थों का सेवन करने से भी इस रोग की उतपत्ति होती है। लक्षण-पानी के समान बार-बार पतला दस्त होता है साथ ही पेट में चुभने जैसा दर्द होता है। कभी-कभी मिचली या उल्टी की भी शिकायत होती है। सिरदर्द व थोडा सा बुखार भी हो सकता है,चक्कर आतें हैं और पसीना निकलता है,शरीर में पानी की कमी हो जाती है। नुश्खे-1-कच्चे केलों को उबालकर छील लें। एक बर्तन में थोडा सा घी डालकर गर्म करें और 2-3 लौंग की छौंक देकर उसमें केले डाल दें। दही में धनिया,हल्दी,सेंधा नमक मिलाकर इसमें डाल दें। ऊपर से थोडा पानी डालें,कुछ ही देर में केले को स्वादिष्ट सब्जी तैयार हो जायेगी। इस सब्जी के सेवन से दस्त या अतिसार में अत्याधिक लाभ होता है। 2-गर्मी के मौसम के कारण दस्त हो रहें हैं, तो 9 से 10 सिंघाड़े खाकर मठ्ठा पीयें,इससे एक दिन में आराम हो जाता है।