2-अम्लपित्त-एक तोला आंवलों का रस,पानी में मसली हुई एक तोला काली द्रादा और आधा तोला शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त में विशेष आराम मिलता है।
3-स्त्रियों का सोमरोग-20 ग्राम आंवले के रस में एक पका हुआ केला मसलकर उसमें 5 ग्राम शक्कर मिलाकर खाने से स्त्रियों का सोमरोग (बहुमूत्र) दूर हो जाता है।
4-पथरी-आंवलें का चूर्ण मूली के साथ खाने से मूत्राशय की पथरी दूर होती है।
5-पेशाब में जलन-आंवला और हल्दी 10-10 ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर पीने से मूत्रमार्ग और गुदा मार्ग को जलन शांत होती है।
6-पायरिया-आंवलें को आग पर भूनकर उसमें सेंधा नमक मिलाकर बारीक पीस लें,साथ ही उसमें दो-तीन बूँद सरसों का तेल मिलाकर इससे नियमित मंजन करने से पायरिया रोग का नाश होता है।
7-हड्डी टूटने पर-हड्डी टूटने पर आवश्यक उपचार के बाद नियमित रूप से आंवलें का रस किसी फल के रस में मिलाकर लें,विशेष लाभ होता है।
8-नेत्र ज्योति-नेत्र रोगों में आंवलें का चूर्ण गाय के दूध के साथ नियमित सेवन करना चाहिए इससे नेत्र की ज्योति बढ़ती है।
9-पीलिया-तीन भाग ताजे आंवलें के रस में एक भाग शहद मिलाकर सुबह-दोपहर-शाम को लें। इससे पीलिया में अवश्य लाभ होगा।
10-बवासीर-बवासीर की शिकायत होने पर आंवलें का चूर्ण दही के साथ नियमित लेना चाहिए।
11-दस्त-सूखा आंवला तथा काला नमक समान भाग में लेकर चूर्ण बना लें अजीर्ण से होने वाले दस्त में आधा चम्मच चूर्ण दिन में तीन बार जल के साथ सेवन करें। दस्त बन्द हो जायेगें।
12-पेट में कीड़े-25 ग्राम ताजे आंवलें का रस नित्य प्रातः खाली पेट एक हफ्ते तक लें,इससे पेट के सारे कीड़े मर जायेगें।
13-बालों के रोग-बाल गिरते हो या कम उम्र में सफेद हो गये हो तो आंवलें का चूर्ण पानी में मिलाकर तुलसी की हरी पत्तियों को पीसकर उसमें मिला दें,इसे बालों की जड़ों में मलें। इससे बालों का गिरना और सफेद होना रुक जाता है।
14-बुढ़ापे से छुटकारा-आंवलें और काले तिल का चूर्ण बना लें। यह चूर्ण बारीक होना चाहिए। यह चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में घी या फिर शहद के साथ नियमित चाटने से बुढ़ापा नहीं आता है।
15-नकसीर-यदि नकसीर किसी प्रकार बन्द हो जाए तो ताजे आंवलें का रस नाक में टपकाकर नकसीर बन्द कर दें। जिन्हें अक्सर नकसीर की शिकायत रहती है। उन्हें नित्य आंवलें का सेवन तथा सिर पर आंवले का लेप करना चाहिए।
16-मधुमेह-ताजे आंवले के रस में थोडा सा नमक मिलाकर पीने से कुछ ही महीनों में मधुमेह ठीक हो जाता है।
17-खुजली-आंवले के चूर्ण को तेल में मिलाकर मालिश करने से खुजली नष्ट होती है। फोड़े-फुंसी और गुमड़ियों को ठीक करने के लिए आंवले को घिसकर लगाना चाहिए।
18-जलने पर भी आंवला का प्रयोग किया जाता है।
19-आंवले के चूर्ण को सिर दर्द में सिर पर लगाने से सिरदर्द से छुटकारा मिलता है।
20-स्मरणशक्ति-नित्य प्रातःकाल आंवले के मुरब्बे का सेवन करने से स्मरणशक्ति बढती है।
21-ह्रदय की कमजोरी-आधा भोजन करने के बाद 6-7 चम्मच ताजे आंवले का रस आधा गिलास पानी में मिलाकर पीयें फिर शेष भोजन करें। इस प्रकार 21 दिनों तक करने से ह्रदय की कमजोरी दूर होती है।
22-मष्तिष्क की कमजोरी में भी उपरोक्त नुश्खा उपयोगी है।
23-उल्टी-आंवलें के रस में चन्दन अथवा पीपर का चूर्ण डालकर शहद के साथ चाटने से उल्टी बन्द होती है।
24-रक्तस्त्राव-यदि चोट लगाने पर रक्तस्त्राव हो रहा है तो उस स्थान पर ताजे आंवले का रस लगायें। इससे रक्तस्त्राव बन्द हो जायेगा।
25-श्वेतप्रदर-3 ग्राम आंवले का चूर्ण 6 ग्राम शहद में मिलाकर नित्य एक माह तक चाटें। इससे श्वेतप्रदर नष्ट हो जायेगा।
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14-बुढ़ापे से छुटकारा-आंवलें और काले तिल का चूर्ण बना लें। यह चूर्ण बारीक होना चाहिए। यह चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में घी या फिर शहद के साथ नियमित चाटने से बुढ़ापा नहीं आता है।
15-नकसीर-यदि नकसीर किसी प्रकार बन्द हो जाए तो ताजे आंवलें का रस नाक में टपकाकर नकसीर बन्द कर दें। जिन्हें अक्सर नकसीर की शिकायत रहती है। उन्हें नित्य आंवलें का सेवन तथा सिर पर आंवले का लेप करना चाहिए।
16-मधुमेह-ताजे आंवले के रस में थोडा सा नमक मिलाकर पीने से कुछ ही महीनों में मधुमेह ठीक हो जाता है।
17-खुजली-आंवले के चूर्ण को तेल में मिलाकर मालिश करने से खुजली नष्ट होती है। फोड़े-फुंसी और गुमड़ियों को ठीक करने के लिए आंवले को घिसकर लगाना चाहिए।
18-जलने पर भी आंवला का प्रयोग किया जाता है।
19-आंवले के चूर्ण को सिर दर्द में सिर पर लगाने से सिरदर्द से छुटकारा मिलता है।
20-स्मरणशक्ति-नित्य प्रातःकाल आंवले के मुरब्बे का सेवन करने से स्मरणशक्ति बढती है।
21-ह्रदय की कमजोरी-आधा भोजन करने के बाद 6-7 चम्मच ताजे आंवले का रस आधा गिलास पानी में मिलाकर पीयें फिर शेष भोजन करें। इस प्रकार 21 दिनों तक करने से ह्रदय की कमजोरी दूर होती है।
22-मष्तिष्क की कमजोरी में भी उपरोक्त नुश्खा उपयोगी है।
23-उल्टी-आंवलें के रस में चन्दन अथवा पीपर का चूर्ण डालकर शहद के साथ चाटने से उल्टी बन्द होती है।
24-रक्तस्त्राव-यदि चोट लगाने पर रक्तस्त्राव हो रहा है तो उस स्थान पर ताजे आंवले का रस लगायें। इससे रक्तस्त्राव बन्द हो जायेगा।
25-श्वेतप्रदर-3 ग्राम आंवले का चूर्ण 6 ग्राम शहद में मिलाकर नित्य एक माह तक चाटें। इससे श्वेतप्रदर नष्ट हो जायेगा।
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