भारत में इंटरनेट
भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया, जब एर्नेट (Educational & Research Network) को सरकार, इलेक्ट्रानिक्स विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम (UNDP) की ओर से प्रोत्साहन मिला|सामान्य उपयोग के लिये जाल 15 अगस्त 1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की। भारत दुनिया के उन चंद देशों में शामिल है जहां इंटरनेट के बंद होने की सबसे ज्यादा संभावना है। हाल में आई एक रिपोर्ट ने एक बार फिर भविष्य में हमारे यहां इंटरनेट बंद हो जाने की बात को पुख्ता किया है। इसकी मुख्य वजह भारत में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ग्लोबल आईएसपी) की संख्या घटती हुई संख्या है।
भारत मे इंटरनेट यूजर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।
यहां 121 मिलियन लोगों तक इंटरनेट की पहुंच हो चुकी है, जो कि कुल जनसंख्य का करीब 10 फीसदी है। दुनिया के सभी इंटरनेट यूजर्स देश में भारत कर हिस्सा 3 फीसदी है।
यूज के मामले में भारत में इंटरनेट का यूज सबसे ज्यादा पोर्न फिल्में देखने के लिए किया जाता है।
इसके साथ ही इंटरनेट का यूज व्यक्तिगत जरूरतों जैसे बैंकिंग, ट्रेन इंफॉर्मेशन-रिजर्वेशन और अन्य सेवाओं के लिए भी होता है।
मोबाइल फ़ोन के हानिकारक प्रभाव,How to injuries mobile phone?phone hamare shrir pr kaise hanikark hai in hindi
दोस्तों आजकल मोबाइल फ़ोन सभी के लिए एक बहुत बड़ी आवश्यकता बन चुका है परन्तू क्या आप इसके हानिकारक प्रभाव से परिचित हैं। आइये जानतें हैं मोबाइल के हानिकारक प्रभाव के बारे में- मोबाइल फ़ोन के विकिरण मानव स्वास्थ और वातावर्ण पर गहरा प्रभाव डालता है। संसार के अधिक्तर लोग मोबाइल फ़ोन का उपयोग करते है, इसलिये मोबाइल फ़ोन के विकिरण, चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोगो का मानना है कि मोबाइल फ़ोन जो विध्युत चुम्बकीय विकिरण का प्रयोग करता है, इसके कारण मानव जीव के स्वास्थ को नुक्सान पहुचाता है। ३१ मई २०११ मे विश्र्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोबाइल फ़ोन को लंबे समय तक इसतेमाल करने से हानीकारक हो सकता है। वैज्ञानिको ने मोबाइल फ़ोन विकिरण को "मनुष्य के लिए संभवतः कासीनजन " नामक वर्गीकृत किया है। मोबाइल फ़ोन और कॉफी, दोनो संभवतः कासीनजन पदार्थो के साथ, वर्ग २ बी मे श्रेणीकरण किया गया है। कुछ नये अध्ययनो से यह सूची मिली है की मोबाइल फोन के प्रयोग और मस्तिष्क और लार ग्रंथि के ट्यूमर के बीच संबंध पाया गया है। लेनार्त हार्देल और उस्के सहयोगियों के २००९ मेटा विश्र्लेषण जो ग्यारह छात्र पे किया गय...
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