मुलहठी मीठी तथा ठण्डी होती है। मुलहठी की जड़ पेसाब लाने वाली और दर्दनाशक भी होती है। यह खांसी में विशेष लाभकारी है। इससे कफ पिघलकर बाहर निकल जाती है। यह आमाशय की जलन को भी दूर कर पीठ की हड्डियों को मजबूत करती है। फेफड़ों के लिए भी यह फायदेमंद है। गले का दर्द व सूजन भी कम करती है। इसके सेवन से अनेक रोग दूर होतें हैं।
आइये अब जानतें हैं मुलहठी के उपयोगों के बारे में-
1-खांसी व बुखार में- मुलहठी का मोटा चूर्ण बनाकर पानी में उबालें फिर इस पानी को छानकर इसमें दो गुना चीनी मिलाकर शर्बत बनाकर रख लें। खांसी के साथ बुखार आने पर दो-दो चम्मच दिन में तीन बार लें।
2-जख्म होने पर- मुलहठी का कपड़छन चूर्ण बनाकर तेल में पकायें। इसे जख्मों पर लगाने से जख्म ठीक हो जातें हैं।
3-पुराना कब्ज- मुलहठी के चूर्ण में दोगुनी चीनी डालकर दूध के साथ खाने से पुराने से पुराना कब्ज भी दूर हो जाता है और शरीर में एक नई ताकत आती है।
4-प्रदर रोग-एक माशा मुलहठी का चूर्ण दोगुनी खांड में मिलाकर ताजे जल या गाय के दूध के साथ लेने से स्त्रियों का प्रदर रोग दूर हो जाता है।
5-मिर्गी- मुलहठी के चूर्ण को घी में मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से मिर्गी रोग दूर होता है।
6-यौन शक्ति में व्रद्धि-मुलहठी का चूर्ण बनाकर रख लें। 5 ग्राम की मात्रा में चूर्ण को दूध में उबालकर नियमित सेवन करने से यौन शक्ति में व्रद्धि होती है।
7-सर्दी-जुकाम- मुलहठी की जड़ को पीसकर सूंघने से सर्दी और जुकाम में आराम मिलता है और सिरदर्द मिट जाता है।
8-दिमाग की गर्मी-मुलहठी के पत्तों का रस निकालकर उसे सरसों के तेल में उबालें। इससे नियमित सिर पर मालिश करने से दिमाग की गर्मी दूर हो जाती है।
9-मुह के छाले-मुलहठी का काढ़ा बनाकर दिन में 3 से 4 बार गरारे करने से मुह व जीभ के छाले ठीक हो जातें हैं। इससे बैठी हुयी आवाज भी खुल जाती है और मुँह के जख्मों से भी छुटकारा मिलता है।
10-एक माशा मुलहठी का चूर्ण खाने से जी मतलाना, जलन, वमन, गले का बैठना, हिचकी, रक्त विकार और चर्म रोग दूर हो जातें हैं।
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