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उच्च रक्तचाप का इलाज

आजकल के परिवेश में बहुत सी बीमारियां अतिशीघ्रता से हमारे शरीर में अपना बसेरा बना लेतीं हैं। इन बीमारियों में से एक है उच्च रक्तचाप यानि हाई ब्लड प्रेसर। बढ़ते मानसिक तनाव के कारण आज मनुष्य को कई व्याधियों ने घेर लिया है। उन्ही में से एक अति कष्टदायी व्याधि है उच्च रक्तचाप। यह बिमारी आज एक ज्वलंत समस्या बन गयी है। प्रायः देखा गया है कि मानसिक तनाव के साथ ही शरीर में विभिन्न प्रकार की दूसरी विकृतियां भी पायीं जाती हैं। जिनमे उच्च रक्तचाप एक लक्षण के रूप में पाया जाता हैं।
कारण-आमतौर पर उच्च रक्तचाप के बारे में कहा जाता है कि रस-रक्त का संवाहन करने वाली धमनियों में किसी प्रकार की बाधा उत्प्नन होने पर उच्च रक्तचाप की स्थिति पैदा हो जाती है।
लक्षण-उच्च रक्तचाप के कारण सिरदर्द, भ्रम, ग्लानि, आँखों के सामने अँधेरा छा जाना, बेचैनी, धड़कनों का तेज चलना, चींटियों के चलने सा आभास होना आदि लक्षण उत्प्नन होतें हैं। इन परेशानियों से बचने के लिए निम्नलिखित घरेलू उपाय या नुश्खे अत्यंत उपयोगी हैं-
नुश्खे-1-उच्च रक्तचाप में नारंगी का सेवन अत्यंत लाभ दायक होता है।उच्च रक्तचाप का रोगी दो-तीन दिन तक केवल नारंगी के रस का ही सेवन करे और दूसरा कोई अन्य या पेय पदार्थ न ले। तो उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
2-दो चम्मच शहद में एक चम्मच नीबूं का रस मिलाकर सुबह और शाम पीने से उच्च रक्तचाप कम होता है।
3-शिलाजीत और सर्पगंधा का धनसत्व दोनों को बराबर मात्रा में लेकर खूब घोटकर चने के बराबर गोलियां बना लें। दिन में तीन बार एक-एक गोली दूध के साथ सेवन करने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
4-तरबूजे के बीजों की गिरी और खसखस बराबर मात्रा में लेकर उसे पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3 से 5 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम खाली पेट जल के साथ लें। उच्च रक्तचाप से महीने भर में मुक्ति मिल जायेगी।
5-उच्च रक्तचाप में तरबूज अत्याधिक फायदेमंद है। एक बड़ी थाली में तरबूज को काटें और फांकों पर सेंधा नमक व काली मिर्च बुरक दें। फिर फांकों को थोडा सा हांथो से मसलकर उसका रस निकाल लें और उसे पी जाएँ। उच्च रक्तचाप के रोगी के लिए यह रस अमृत के समान है। इसके सेवन से तीन-चार दिनों में ही रक्तचाप सामान्य हो जाएगा।
6-आपको उच्च रक्तचाप हो तो घबराइये नहीं। बस सुबह और शाम खाली पेट पपीते की दो-तीन फाकें रोज खाइये। आपकी सारी शिकायतें दूर हो जायेगी।
7-सौंफ, जीरा और मिश्री को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनायें। एक-एक चम्मच चूर्ण जल के साथ सुबह और शाम लेने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। गर्भावस्था की स्थिति में उच्च रक्तचाप होने पर महिलायें भी इसे निर्भयता से सेवन कर सकती हैं।
8-पांच ग्राम त्रिफला चूर्ण रात को सोने से पहले गर्म पानी के साथ नियमित सेवन करें। इससे उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
9-अगर उच्च रक्तचाप हो तो आँवले का रस नियमित पीयें। आँवले का कसैला तत्व हृदय के आस-पास की चर्बी को हटा देता है। जिससे रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
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