मधुमेह इन्सुलिन की कमी के कारण उत्प्नन शारीरिक क्रिया है। हमारे शरीर में पाचन संस्थान के कुछ नीचे बाई ओर एक पैंक्रियाज नामक ग्रंथि होती है। इसी ग्रंथि के कुछ विशेष कोष इंसुलिन नामक स्त्राव उत्प्नन करतें हैं। लेकिन जब इन्सुलिन के स्त्राव में कमी आ जाती है। तो रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है और मधुमेह उत्प्नन होता है।
कारण-मधुमेह के प्रमुख कारण-तनाव, चिंता, मोटापा, धूम्रपान, खट्टे-मीठे पदार्थों का अधिक सेवन आदि। इन कारणों से पैंक्रियाज ग्रंथि विकृत हो जाती है। अतः रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। शरीर के कोषों शर्करा का उपयोग नहीं हो पाता है। इससे रक्त में चर्बी की मात्रा बढ़ जाती है और रक्तवाहिनियां सख्त और संकरी हो जाती है। इस प्रकार मधुमेह का दुष्प्रभाव रक्तवाहिनियों को कड़ा कर देता है।
लक्षण-मूत्र की मात्रा व मूत्र विसर्जन की आवत्ति बढ़ जाती है। मूत्र में शर्करा भी निकलती है। इसका प्रमाण यह है कि जहां मूत्र का त्याग किया जाता हो। वहाँ चीटियाँ एकत्रित हो जतिन हैं। ऐसे रोगी को सिर में दर्द व भारीपन रहता है। त्वचा में रूखापन आ जाता है और फोड़े-फुंसियां भी अधिक निकलती हैं। घाव होने पर जल्दी नहीं भरता है। आँखों की रोशनी कम हो जाती है। इस प्रकार शारीरिक कमजोरी आ जाती है।
नुश्खे-1-रात को मैथी के दाने पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर दातून कर वह पानी पी कर मैथी के दाने धीरे-धीरे चबा लीजिये। मधुमेह धीरे-धीरे ठीक होता चला जायेगा।
2-नियमित तीन महीने तक करेले की सब्जी घी में बनाकर खाने से मधुमेह में निश्चित रूप से लाभ होगा।
3-रात को काली किशमिश भिगोकर रखिये। सुबह उठने के साथ उसका जल छानकर पी लीजिये।
4-सुबह टमाटर, संतरा और जामुन का नाश्ता करें। इनकी 300 ग्राम मात्रा पर्याप्त है।
5-तमालपत्र अर्थात तेजपात को कूटकर कपड़े से छानकर चूर्ण बना लीजिये। सुबह उठते ही 5 ग्राम चूर्ण की मात्रा कुनकुने पानी के साथ लें। दस दिनों के भीतर-भीतर लाभ होगा।
6-आवलें के चूर्ण को भिगोकर उसे कुछ देर रहने दीजिये। फिर उसे छानकर उसमें नीबू का रस निचोड़कर सुबह उठते ही पी लीजिये।
7-मधुमेह की शिकायत होने पर आम और जामुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में तीन बार लगाकर एक महीने तक सेवन करें।
8-आंवला, हल्दी और मैथी तीनों को सम्भाग में मिलाकर मधुमेह के रोगी को सुबह दोपहर और शाम को पानी के साथ एक चम्मच भर सेवन करें। तो वह दो महीने के भीतर मधुमेह के रोग से मुक्त हो जाता है।
9-मधुमेह के इलाज के लिए बेलपत्र बड़े उपयोगी है। यह सिद्ध प्रयोग है कि नीम और बेलपत्र के पत्ते कुछ नग लेकर उन्हें तुलसी के करीब 5 से 6 पत्तों, 5 नग मुनक्का और 5 नग काली मिर्च के साथ पीसकर गोलियां बना लें। एक-एक गोली प्रतिदिन प्रातःकाल जल के साथ लेने से भयंकर से भयँकर मधुमेह रोग केवल 3 से 4 महीनो में ही ठीक हो जाता है। लेकिन साथ में खानपान का ध्यान रखना भी जरूरी है।
10-जामुन की गुठली और हरिद्रा की बराबर मात्रा लेकर कूट पीसकर चूर्ण बनाकर शहद के साथ चांटे अथवा आधा चम्मच छाछ के साथ पियें। मधुमेह कितना भी भयानक क्यों न हो खत्म हो जायेगा।
11-जामुन के कोमल हरे पत्ते पीसकर नियमित रूप से 25 दिनों तक प्रातःकाल पानी के साथ पीने से पेशाब में शक्कर की मात्रा कम हो जायेगी या फिर समाप्त हो जायेगी।
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