संभोग की प्रबल इच्छा होने पर और प्रिय स्त्री के निकट होने के बावजूद भी लिंग में शिथिलता के कारण जो पुरूष इस क्रिया में नाकाम रहता है। उसे नपुंसकता कहा जाता है और उस पुरूष को नपुंसक।
इस रोग के इलाज के लिए निम्न नुश्खे उपयोगी हैं-
नुश्खे-1-तुलसी के बीज और जड़ तथा क्रौच के बीज को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनायें। फिर प्रतिदिन सुबह एक चम्मच चूर्ण खाकर ऊपर से मिश्री मिला कर दूध पीयें। 40 दिन तक नियमित सेवन करने से समस्या का निदान अवश्य हो जायेगा। लेकिन इस बीच स्त्री सहवास से बचना चाहिए।
2-पंद्रह ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनायें। फिर इसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें और इसे शीशी में भरकर रख दें। उसे 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह और शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे नपुंसकता दूर होकर रति शक्ति में वर्द्धि होगी।
3-जंगली पालक के 100 ग्राम बीज का चूर्ण बना कर रख लें। दो से ढाई ग्राम चूर्ण दिन में तीन बार एक कप दूध के साथ लें। डेढ़ महीने तक सात्विक भोजन व सात्विक आचार और विचार रखें। इससे नपुंसकता जड़ से दूर हो जायेगी।
4-बेल की 15 पत्तियां, 2 गिरी बादाम और 150 ग्राम शक्कर तीनों को पीसकर उसमें पानी डालकर धीमी आंच पर पकायें। एक चौथाई रह जाने पर उतार लें और ठंडा होने दें। फिर इसे सेवन करें।
5-दो सौ ग्राम लहसुन पीसकर उसमें 600 मिली शहद मिला कर एक साफ़-सुथरी शीशी का मुँह अच्छी तरह से बन्द करके गेहूं की बोरी के भीतर रख दीजिये। 31 दिनों के बाद इसे बोरी से बाहर निकालें। 10 ग्राम की मात्रा में 40 दिनों तक इसका सेवन करने से नपुंसकता दूर हो जाती है और यौन शक्ति बढ़ती है।
6-केवाँच अर्थात क्रौंच के बीज की गिरी और उसकी जड़ सम्भाग में लेकर कूट-पीसकर कपड़े से छान लें। फिर इस चूर्ण में चूर्ण के बराबर मिश्री का चूर्ण मिलाकर रख लें। 10 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को सुबह और शाम को गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे बाजीकरण की शक्ति प्राप्त होती है तथा बल और वीर्य की भी वर्द्धि होती है।
7-चिरौंजी के पेड़ के जड़ की छाल, काली क्रौंच के बीज, सेमल के बीज, तुलसी के बीज,शिवलिंगी के बीज इन सभी को सम मात्रा में लेकर कपड़छन चूर्ण बनायें। इसमें पूरे मिश्रण का आधा मिश्री का चूर्ण मिलाकर एकसार कर लें और शीशी में भर लें। रात को सोने से पहले 10 ग्राम चूर्ण फाँक कर मिश्री, इलायची मिला हुआ आधा लीटर दूध पियें। 31 दिन सेवन करें, शरीर में ताकत का तूफ़ान पैदा होता है। किन्तु इन दिनों तेल, गुड़, खटाई, तेज मिर्च-मसाले और स्त्री सहवास से परहेज करें।
8-नपुंसकता को दूर करने और यौन क्रिया में उत्तेजना और शक्ति लाने के लिए नारियल की बारीक कतरन को बरगद के 5 से 6 चम्मच दूध में मिलायें। इस मिश्रण में दो से तीन चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें। यदि मक्खन मिल जाये तो दो चम्मच वह भी मिला लें। यह नुश्खा का प्रयोग 20 से 25 दिनों तक करें। इस दौरान यौन संसर्ग से दूर रहें। पर्याप्त लाभ होगा।
9-सफेद प्याज का रस, शहद, अदरक का रस और घी 10-10 मिली लेकर तथा एक साथ मिलाकर 21 दिन तक नियमित रूप से सुबह पीने से पुरुषत्व प्राप्त होता है और नपुंसकता से मुक्ति मिलती है।
10-तिल और गोखरू दूध में उबालकर पीने से धातुस्त्राव बन्द होता है और नपुंसकता दूर होती है।
11-अमलतास की छाल का बारीक चूर्ण दो ग्राम लेकर उसमें चार ग्राम शक्कर मिलाकर गाय के दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करने से वीर्य की वर्द्धि होती है और शारीरिक शक्ति बढ़ती है तथा नंपुसकता खत्म होती है।
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स्त्री-पुरूषो के अंगो पर छिपकली गिरने और गिरगिट चढ़ने का फल stri aur puroosho ke ango par chipkali girne aur girgit chadhne ka fal in hindi on blogger on google
जाने स्त्री और पुरूष के अंगो पर छिपकली गिरने और गिरगिट चढ़ने का फल- ह्यरन्ध्र- राज्य प्राप्ति केशान्त- मृत्यु तुल्य कष्ट ललाट- स्थान लाभ केशबंध-रोगभय ठोड़ी- निधनभय दाहिना कान- भूषण प्राप्ति बायां कान- आयुवर्ध्दि नासिका(कान)- सौभाग्य लाभ मुख- मधुर भोजन नासाग्र- व्यसन विग्रह बायां गाल- इष्ट मित्र मिलन दाहिना गाल- आयुव्रद्धि गला- सुख प्राप्ति गर्दन- यस प्राप्ति दाढ़ी या हनु- भयकारक मूँछ- सम्मान प्राप्ति भृकुटी या भौह- धनहानि भौहमध्य- धनलाभ दाहिना नेत्र- बन्धु दर्शन बायां नेत्र- हानिकारक कण्ठ- शत्रुनाश पीठमध्य- कलह दाहिनी पीठ- रोगभय उत्तरोष्ठ- धनहानि अधरोष्ठ- प्रियमिलन दाहिना कंधा- विजय बायां कंधा-दुश्मनों से भय दाहिनी भुजा- धन एवम् इष्ट लाभ बायीं भुजा- धनक्षय एवम् राजभय दाहिनी हथेली- वस्त्र लाभ बायीं हथेली- धनहानि दायाँ करतल पृष्ट- द्रव्य का सदुपयोग बायां करतल पृष्ट- द्रव्य का दुरूपयोग दाहिना अंगूठा- अर्थ लाभ बायां अंगूठा- अर्थ हानि दाहिना मणिबन्ध- मानसिक चिन्ता बायां मणिबन्ध- धान्य लाभ नखों पर- द्रव्य लाभ दायाँ पार्श्व पंखुली- बन्धुदर्शन बायां पार्श्व
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