खसरा एक संक्रामक रोग होता है। यह ज्यादातर बच्चों पर हावी होता है। इस रोग में पहले बुखार आता है फिर दूसरे या तीसरे दिन इसमें दाने नजर आने लगता है और फफोलों का रूप ले लेते हैं और फिर चौथे दिन से पपड़ी जमकर गिरने लगती है। यह एक सूक्ष्म विषाणुजनित रोग होता है।
लक्षण-इस बीमारी में सबसे पहले जुकाम और सर्दी होती है। फिर छीकें आतीं हैं और सूखी खाँसी आती है। इसके बाद बुखार आने लगता है। आँख,मुँह फूले हुए एवं लाल दिखाई देतें हैं। ज्वर के चौथे दिन समस्त दिन शरीर एवं चेहरे पर बहुत छोटे-छोटे लाल दाने निकल आतें हैं। खसरे में पहले गले में खरास के साथ नाक से स्त्राव, छीकें आना, नेत्र लाल हो जाना, आंसू बहना, स्वरभंग, सिरदर्द, हाथ-पैर में पीड़ा, ज्वर (101 डिग्री फॉरेन हाइट से 140 डिग्री फारेनहाइट तक)।
खसरा एक संक्रामक रोग है। इसलिए रोगी को अन्य लोगों के सम्पर्क से दूर रखना चाहिए वरना उन्हें भी खसरा होने की सम्भावना रहती है।
इसके बचाव के निम्न नुश्खे उपयोगी हैं-
नुश्खे-1-नीम, पित्त पापड़ा, पाठा, परवल के पत्ते, कुटकी, सफेद चंदन, खस, आँवला और अडूसा सभी को मिलाकर काढ़ा बनायें। इसमें शक्कर मिलाकर रोगी को पिलायें इससे खसरे में लाभ होगा।
2-आंवला, खस, गिलोय(गुरुचि), धनिया और नागरमोथा सबको सम्भाग में लेकर चूर्ण बनायें। एक चम्मच चूर्ण को दो गिलास पानी में उबालें। जब एक गिलास पानी शेष रह जाये। तो उतार लें। इससे आधा-आधा चम्मच की मात्रा में रोगी को बार-बार पिलायें। यह मात्रा बच्चों के लिए है। इससे दूसरे रोगों में भी आराम मिलता है।
3-खसरे की छोटी-छोटी फुंसियों पर खुजली और जलन हो तो चंदन को पत्थर पर घिसकर लेप लगायें।
4-पिडिकाओं को नीम और गूलर की छाल का क्वाथ बनाकर साफ़ करें, फिर उन पर नीम का तेल लगायें।
5-ब्राम्ही के स्वरस में मधु मिलाकर पीने से लाभ होता है।
6-एक लीटर पानी उबालकर चतुर्थांश रहने पर बच्चे को थोडा-थोडा यह पानी पिलायें। इससे खसरे में बार-बार लगने वाली प्यास शांत होती है।
7-खसरे में निकले लाल दानों से होने वाली तकलीफ को दूर करने के लिए आँवले को पीसकर उसका लेप लगायें। इससे बच्चे की छटपटाहट थम जायेगी। खसरा निकल जाने के बाद बदन में खुजली और जलन हो तो सूखे आँवले को पानी में उबालकर फिर उसे ठंडाकर लें। इसमें कपड़े को भिगोकर शरीर पर फेरें। इससे रोगी को राहत मिलेगी।
8-खसरे में खुजलाने से जो चिपचिपा पदार्थ निकलता है। उसके लिए 100 ग्राम नारियल के तेल में 20 ग्राम कपूर मिलायें। इस मिश्रण को शरीर में तीन से चार बार लगायें। इससे खसरे से राहत मिलती है।
9-आँखों में लाली या जलन हो तो इस काढ़े को स्वच्छ कपड़े में छानकर उसमें पानी मिलाकर रोगी की आँखों को बार-बार पोछें। काढ़े में कपड़ा या रूई डुबोकर आँखों पर रखने से भी फायदा होता है।
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