आदिकाल से ही वृक्षों में पीपल का स्थान सबसे ऊँचा है। वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन पीपल के द्वारा ही उत्सर्जित होती है। स्त्रियां संतान प्राप्ति के लिए इसकी पूजा करतीं हैं। आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी पीपल के औषधीय गुणों का महत्व बतलाया गया है। इसका उपयोग निम्न कार्यो में महत्व पूर्ण हैं।
नुश्खा-1-स्मरण शक्ति-पीपल के 5 पके हुए फलों को प्रतिदिन खाने से स्मरणशक्ति बढ़ती है। इसके साथ ही शरीर भी पुष्ट और ओज युक्त होता है। इसी फल को खाने के कारण एक ऋषि का नाम पिप्पलाद पद गया था। जो बड़े ही तेजस्वी थे।
2-गर्भधारण-पीपल के सूखे फलों को कूट-पीसकर कपड़छन कर चूर्ण बना लें। जो स्त्रियां संतानरहित हों उन्हें इस चूर्ण की 5 ग्राम की मात्रा एक गिलास शुद्ध कुनकुने दूध के साथ नियमित सेवन करना चाहिए, गर्भधारण अवश्य होगा। केवल मासिक धर्म के दिनों में इसका सेवन बन्द रखना चाहिए।
3-श्वास रोग यानि दमा-सांस फूलने या दमा का दौरा पड़ने पर पीपल की सूखी छाल के चूर्ण की 5 ग्राम की मात्रा कुनकुने जल के साथ दिन में तीन बार लेने से काफी राहत मिलती है और धीरे-धीरे यह रोग शांत हो जाता है।
4-शीघ्रपतन-पुरुषों में अक्सर शीघ्रपतन की शिकायत रहती है। पीपल के दूध की 11 बूँदें चीनी या बताशे में टपकाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इससे सारा दोष नष्ट हो जाता है। कुछ ही महीनों तक इसका सेवन जारी रखना चाहिए।
5-कब्ज-कभी-कभी मल आंत में ही सूखने लगता है। जिसके कारण कब्ज की शिकायत हो जाती है। ऐसे में पीपल के पत्तों को छाया में सुखाकर उसके चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर गोलियां बना लें। रात को सोने से पहले दो गोली कुनकुने दूध के साथ सेवन करने से शीघ्र ही लाभ होता है।
6-दांतदर्द-पीपल के छोटे पत्तों को काली मिर्च के साथ पीसकर मटर के आकार की गोलियां बना लें। फिर एक गोली दांतों के तले दबाकर कुछ देर रखने से दांतों का दर्द दूर हो जाता है।
7-आँखों से पानी आना-आँखों से पानी गिरने पर पीपल की 5 कोपलें एक कटोरी पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह उसी पानी से आँखों को धोएं। कोपलों के रस में आयुद्ध मिलाकर सलाई से आँखों में प्रतिदिन लगाने से आँखों की लाली तथा जलन भी दूर होती है।
8-पीलिया-पीपल और लशोढ़े के 5-5 पत्ते अच्छी तरह पीसकर उसमे सेंधा नमक मिलाकर 15 दिनों तक पीने से पीलिया रोग दूर हो जाता है अर्थात पूर्ण रूप से खत्म हो जाता है।
9-नकसीर- 50 ग्राम पीपल की गोंद में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर चूर्ण बनायें। प्रतिदिन सुबह 3 ग्राम यह चूर्ण सेवन करने से शरीर की गर्मी शांत हो जाती है और नकसीर से छुटकारा मिल जाता है।
10-तांत्रिक महत्व-पीपल की छाल बच्चे की कमर में बाँध देने से उसके शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होती तथा बच्चा सूखा रोग से सुरक्षित रहता है।
11-पेट के कीड़े-पीपल के पंचांग का चूर्ण एवं गुड़ समान मात्रा में सौंफ के अर्क के साथ दिन में दो बार सेवन करने से पेट के सारे कीड़े मर जातें हैं। बच्चों के लिए यह बहुत ही उपयोगी नुश्खा है।
12-सन्निपात ज्वर के रोगी को पीपल के पत्तों पर लिटाने से उसका ज्वर उतर जाता है।
13-पीपल की टहनी को हाथ में लेकर झाड़ने से भूत-प्रेत का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
14-बच्चे को नजर लग जाने पर पीपल के पत्तों को जलाकर उसका धुँआ बच्चे पर लगाने से नजर उतर जाती है।
15-पीपल की छाया में प्रतिदिन विश्राम करने वाले लोग चर्म रोगों से बचे रहतें हैं।
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