शास्त्रों के अनुसार यदि ब्राह्मण तिलक नहीं लगता तो उसे चाण्डाल समझना चाहिए । तिलक धारण करना धार्मिक कार्य माना गया है। तिलक,त्रिपुंड,टीका अथवा बिन्दिया आदि का सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है । मनुष्य की दोनों भौहों के बीच जिस स्थान पर तिलक लगते हैं । वहाँ पर आज्ञा चक्र स्थित होता है । इस चक्र पर ध्यान केन्द्रित करने पर साधक का मन पूर्ण शक्ति सम्पन्न हो जाता है । इसे चेतना केंद्र भी कहतें हैं अर्थात समस्त ज्ञान एवम् चेतना का संचालन इसी स्थान से होता है । आज्ञा चक्र ही तृतीय नेत्र है । इसे ही दिव्य नेत्र भी कहते हैं। तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जाग्रत होता है । जिसकी तुलना रडार टेलिस्कोप आदि से की जा सकती है । इसके आलावा तिलक सम्मान-सूचक भी है । तिलक लगाने से साधुता,सज्जनता एवम् धार्मिकता का आभास होता है ।
दोस्तों आज हम इंटरनेट रेडियो के बारे में जानेगें। इंटरनेट रेडियो (जिसे वेब रेडियो, नेट रेडियो, स्ट्रीमिंग रेडियो और ई-रेडियो के नाम से भी जाना जाता है) इंटरनेट के द्वारा प्रसारित एक ध्वनि सेवा है। इंटरनेट पर संगीत की स्ट्रीमिंग को सामान्यतः वेबकास्टिंग कहा जाता है क्योंकि इसे मोटे तौर पर बेतार की मदद से प्रसारित नहीं किया जाता है। इंटरनेट रेडियो में मीडिया की स्ट्रीमिंग होती है, सुनने वालों को अनवरत ध्वनि का प्रवाह मिलता है जिसे रोका या पुनः बजाया नहीं जा सकता है; ये इस तरह से मांग पर फाइल की प्रस्तुतीकरण की सेवा से भिन्न होता है। इंटरनेट रेडियो पॉडकास्टिंग से भी भिन्न है, जिसमे स्ट्रीमिंग के बजाय डाउनलोडिंग होती है। कई इंटरनेट रेडियो सेवाएं समरूपी पारंपरिक (स्थलीय) रेडियो स्टेशन रेडियो तंत्र से जुडी होती हैं। सिर्फ इंटरनेट रेडियो स्टेशन इस तरह के जुड़ावों से स्वतंत्र हैं। सामान्यतः इंटरनेट रेडियो सेवाएं दुनिया में किसी भी स्थान से सुगम हैं उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति ऑस्ट्रेलिया के स्टेशन को अमेरिका या यूरोप से सुन सकता हैं। कुछ प्रमुख नेटवर्क जैसे अमेरिका के क्लिअर चैनलऔरसीबीएस रेडि...
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