शास्त्रों के अनुसार यदि ब्राह्मण तिलक नहीं लगता तो उसे चाण्डाल समझना चाहिए । तिलक धारण करना धार्मिक कार्य माना गया है। तिलक,त्रिपुंड,टीका अथवा बिन्दिया आदि का सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है । मनुष्य की दोनों भौहों के बीच जिस स्थान पर तिलक लगते हैं । वहाँ पर आज्ञा चक्र स्थित होता है । इस चक्र पर ध्यान केन्द्रित करने पर साधक का मन पूर्ण शक्ति सम्पन्न हो जाता है । इसे चेतना केंद्र भी कहतें हैं अर्थात समस्त ज्ञान एवम् चेतना का संचालन इसी स्थान से होता है । आज्ञा चक्र ही तृतीय नेत्र है । इसे ही दिव्य नेत्र भी कहते हैं। तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जाग्रत होता है । जिसकी तुलना रडार टेलिस्कोप आदि से की जा सकती है । इसके आलावा तिलक सम्मान-सूचक भी है । तिलक लगाने से साधुता,सज्जनता एवम् धार्मिकता का आभास होता है ।
What is treatment of pain of neck ? गले में पीड़ा का इलाज ? Gle me dard ka ilaj kya hai in hindi on blogger on google
सर्दी,जुकाम,सूजन और अन्य कारणों से गले में पीड़ा होती है। यह दर्द सूई की चुभन या फटने जैसी होती है। इसके इलाज के नुश्खे निम्न हैं- नुश्खे-1-तेजपत्ते को पानी में उबालकर उससे गरा...
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