मिर्च अधिक खाने या अन्य कटु व तीखे पदार्थ खाने से हिचकी आने लगती है। इस रोग में मुख मार्ग से हिक-हिक स्वर करती हुई कफ युक्त वायु बार-बार निकलती है,परंतू लगातार जारी रखने पर यह अत्यंत कष्टदायी होती है।
कारण-तीखे,रूखे और गरिष्ठ पदार्थ खाने के कारण हिचकी रोग उत्प्पन होता है। भीतर की वायु कुपित होकर ऊपर आने लगती है। शीतल जल से स्नान करने,अधिक परिश्रम करने तथा मल-मूत्रादि व भूख-प्यास के वेगों को रोकने से भी हिचकी आती है।
लक्षण- हिचकी आने से पहले गले व ह्रदय में भारीपन महसूस होता है। जब हिचकी आती है तो सिर तथा गर्दन में कम्पन्न महसूस होता है।
कभी-कभी यह ह्रदय व अन्य मर्म स्थानों में पीड़ा के साथ समस्त शरीर में कम्पन्न उत्प्नन करती हुई निरन्तर आती है।
नुश्खे-1-अदरख का रस,नींबू का रस और काली मिर्च मिलाकर चाटने से हिचकी दूर होती है।
2-मूली के तीन-चार पत्ते खाने से हिचकी दूर होती है।
3-सोंठ को पानी में घिसकर सूंघने से हिचकी तत्काल दूर हो जाती है।
4-एक गिलास हल्का गर्म जल पीने से हिचकी दूर होती है।
5-10 ग्राम तुलसी दल,10 ग्राम काली मिर्च व 2 ग्राम छोटी इलायची को एक साथ पीसकर उस चूर्ण को शहद के साथ चाटें,हिचकी से तुरंत लाभ मिलता है।
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