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Supt-vjrasan asan सुप्त वज्रासन योग-आसन yog aasan in hindi on blogger on google

विधि-वज्रासन में बैठ जाइए। फिर भुजाओं और कोहनियों के सहारे पीछे की तरफ झुकते जाइए जब तक कि सिर सतह से न लग जाये। कमर पूर्ण रूप से धनुषाकार रहेगी। अभ्यास क्रम में इस बात का ध्यान रखें कि घुटने सतह पर सटे रहें। हाथों को जाँघो पर रख लीजिये। इसके बाद आँखे बंद करके पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिये।
श्वास-अभ्यास के दौरान श्वास को सामान्य रखें। पेट के रोगों को दूर करने के लिए आमाशय को फैलाते व संकुचित करते हुए श्वास धीमा और गहरा होना चाहिए।
समय-शारीरिक लाभ के लिए कुछ मिनट तक अभ्यास काफी है।जो आध्यात्मिक लाभ के लिए इस आसान का अभ्यास करना चाहते हैं,उन्हें इसे लम्बे समय तक करना चाहिए।
सावधानी-घुटनों को हठपूर्वक सतह से स्पर्श कराने ले लिए जाँघो और घुटनों की मासपेशियों व संधिबन्धनो में अनावश्यक रूप से तनाव उत्प्नन न किया जाए अपने शरीर की क्षमता एवम् संभावनाओ को देखते हुए अंतिम स्थिति पर धीरे-धीरे पहुचना चाहिए।
क्रम-इसका अभ्यास आगे झुककर किये जाने वाले आसनों के बाद में हो।
सीमाएं-रीढ़ के निचले भाग के रोग जैसे हड्डी की टीबी से पीड़ित रोगियों को किसी योग शिक्षक से पूछे बिना इस आसान का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
लाभ-आमाशय के रोगों जैसे कब्ज ले लिए यह आसान बहुत अच्छा है क्योंकि यह आंतो को शक्ति के साथ फैलता व संकुचित करता है। पूरे शरीर को मस्तिष्क से जोड़ने वाले रीढ़ के मुख्य स्नायुओं में दबाव सामान्य रखने के लिए यह आसान बड़ा ही लाभकारी है।

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